દસ કરોડનો વીમો..(હિન્દી નાટક) – હાર્દિક યાજ્ઞિક, જીજ્ઞેશ અધ્યારૂ 11


द्रश्य १

(गूगल, सेक्रेटरी जोशी, विक्रम राठौड)

गूगल + फेसबुक गाना गुनगुनाते हुए ओफिस साफ कर रहा है..

गूगल – ‘में कितना तनहा तनहा

फेसबुक – लोनली लोनली तेरे बिन…’

सेक्रेटरी – “क्या जमाना आया है… (दोनों को देख कर) “मुजे पता था की तुम दोनों यहीं मिलोगे.. साहबने तुम दोनोंको युं ही सर पे चढा रक्खा है… जासूस विक्रम राठौड के ओफिसमें गाना…? नौकरी से निकाल देता तुम दोनोंको, पर आज मेरा मूड अच्छा है इस लीए माफ कीया…. गूगल, आज का अखबार ला…” (गूगल अखबार लेने जाता है)

फेसबुक – ‘क्या बात है साहब, आज आपका मूड बडा अच्छा है?

सेक्रेटरी – ‘आज सुबह से मेरे मोबाईल पर अंजान नंबरों से ‘I Love You, I miss you’ के काफी मेसेज आ रहे है…. शाम को आराम से फोन करुंगा इन सब हसीनाओंको…

फेसबुक – स्योर? कोन्फिडन्ट? ये मेसेज आपके लीए ही आ रहे है?

सेक्रेटरी – कोई शक?

गूगल – ‘साहब, आप को एटेक आए तो सब से पहले किसे बुलाउं?

सेक्रेटरी – क्या?

गूगल – ये मोबाईल आपका नहीं, भाभीजीका है.. आपके मोबाईल पर मेंने कोल कीया था… भाभीजीने बोला की आप उनका मोबाईल ले आऍ हैं…

सेक्रेटरी – च… च… च… चल चल… अब बहुत बोल दीया…. तुम दोनोंके नाम बिलकुल ठीक ही रक्खें है… एक में ईनपुट करने से पहले ही सर्च रीजल्ट आने लगते है… और दूसरा पूरे गांवकी फिकर करता है…

गूगल – आप मोबाईल भूल गए उसमें मेरा क्या कसूर ? ये लीजीए अखबार…

सेक्रेटरी पढता है, गूगल और फेसबुक जुक कर देखते है…

सेक्रेटरी – अरे क्या कर रहे हो?

गूगल – अरे साहब, एक बढिया समाचार है…. आपको मूड ठीक करना है ना? एक मिनट, लाईए अखबार….

मोबाईल में नंबर डायल करता है…

हलो, आज के पेपर में आपने ही वो ad दिया है? तीन दिन में दारू छुडवाईए?

हां, हां

तो आपको इसमें कितने दिन लगते है?

तीन दिन लिखा है तो तीन ही होंगे ना?

कितना खर्चा होगा?

दो हजार रूपए

में पांच हजार देता हुं, छुडवा देंगे क्या?

क्यों नहीं, केस बताईए

वो भावनगर पुलिसने मेरी दस पेटी पकडी हुई है, कब तक छुडवा देंगे?

क्या बकवास करता है? पागल है क्या? रक्ख फोन…

लो, फोन काट दीया

सेक्रेटरी – क्या गूगल तुं भी, एसे कोई कीसीकी मजाक उडाता है क्या?

फेसबुक – एक मजेदार बात बताउं? हमारे घर एक बार एक महात्मा आए, मेरे पिताको सुधारने के लीए मेरी मांने उनसे कहा, उन्होंने दो बकेट मगवाए… एक में दूध भरा और एक में शराब… और एक गधे को उधर खडा रकखा… गधा सारा दूध पी गया… फिर मेरे पितासे पूछा, ईससे तुम क्या सीखे? मेरे पिताने कहा… जो दारूका फुल स्टॉक होने के बावजूद दूध पीए वो गधा नहीं तो और क्या है?…

सेक्रेटरी – चल छोड यार…
(तीनों हसते है और जासूस विक्रम राठौड आते है..)

राठौड – गूगल, क्या चल रहा है ?

गूगल – कुछ नहीं साहब, बस यूं ही थोडा सत्संग… सेक्रेटरी साहब थोडा नाराज हो गए थे, कृपा बंध हो गई थी… निर्मलबाबाने लोगिन कीया तो कृपा शरू हो गई…

राठौड – अच्छा मेरे लीए एक कोफी लाओ… और जोशी.. कल परिख क्यों आया था?

सेक्रेटरी – सर, परिख साहब अपनी कंपनी पीपावाव लाईफ ईन्स्योरन्स की तरफ से एक केस ले कर आए थे…

राठौड – जोशी, ये परिख आया है तो जरूर कोई टेढा केस होगा… बुला लो उन्हें… (फेसबुक फोन करता है)

और हां, मेंने तुम्हें फोन कीया तो तुम्हारी वाईफ ने….

गूगल – सर वहां लोगिन मत कीजीए, अभी वाईरस है….

परिख – राठौड साहब, एक Interesting क्लेम आया है मेरे पास, संजय देसाई नामका एक Businessman 34 सालकी उम्रमें ही हार्टएटॅकसे मर गया, उसने दस करोड का बीमा छह महीने पहले कराया था… सारे मंथली प्रीमीयम भी उसने भरे थे.. सिर्फ छह प्रिमीयम के बाद ईतना बडा क्लेम हुआ तो मुजे दालमें कुछ काला लग रहा है, आप ईसे सोल्व कर दीजीए, आपको मुंह मांगी कीमत दूंगा

राठौड – मुजपर एक अहसान करना, की मुजपर कोई अहसान न करना.

परिख – नहीं नहीं, अहसानकी कोई बात नहीं..

राठौड – तुम अपना काम करो… ये संजय देसाईके बारेमें हमें कुछ और बताओ

परिख – संजय शेरब्रोकर था, नेचरका भी शांत था, पिछले कुछ सालोंमें पैसे भी अच्छे बनाए थे उसने.. दो ओगस्टकी रातको पता नहीं क्या हुआ की नींदमें हार्टएटेक हुआ और वो मर गया. उनके फेमिली डोक्टरने कहा की उसे ब्लड प्रेशर था..

राठौड – कितने वक्तसे?

परिख – तकरीबन दो साल से

राठौड – बीमा लेते वक्त उसने ये बात बताई थी?

परिख – हां, फोर्ममें लिखा था, पर हमारे डॉक्टरने कहा की ये तो आम बात है

राठौड – कोई बुरी आदत… दारू, बीडी, सिगरेट…

परिख – नही, वो तो चाय भी दिनमें दो बार ही पीता था

सेक्रेटरी – (यह सब डायरीमें लिख रहे हैं) परिख साहब, हार्टऍटेक तो कीसीको भी आ सक्ता है, आप को ईसमें डाऊट क्यों है?

परिख – पति के मरने के दो दिन बाद बीबी पॉपकोर्न खाते खाते दबंग देख रही हो तो डाऊट तो होगा ही…

राठौड – क्या?

परिख – संजयकी मौतके दो दिन बाद में उनके घर गया था पेपर्स दिखाने. खिडकी के कांचसे मेंने यह सब देखा था.. पर दरवाजा खुला तो पॉपकोर्न गायब थे, और रीमा देसाई की आंखोमें आंसु थे..

गूगल – अरे साहब, पति मर जाए तो कहां लिखा है की बीबी दबंग नहीं देख सक्ती या पॉपकोर्न नहीं खा सक्ती? क्या कहते है जोशी साहब, आप के बाद भाभीजी…

राठौड – (जोर से) गूगल… (चला जाता है) अच्छा तो आपको Doubt है की संजय मरा नहीं, पर उसकी बीबी रीमाने उसका कत्ल कीया है ?

परिख – हो सक्ता है और नहीं भी.. ये आपको बताना है… आप ईस केसको सोल्व तो कर पाएंगे ना?

राठौड – जो में बोलता हुं वो में करता हुं, जो में नहीं बोलता वो में डेफिनेटली करता हुं..

परिख – राठौड साहब, आप पर मुजे पूरा भरोसा है…

राठौड – Joshi, मुजे कल शाम तक इस संजय देसाई के बारेमें सब जानकारी दो, उसका पूरा बायोडाटा… गूगल और फेसबुकको साथमें रखना.. आज कल ईन दोनों के बिना कीसीका गुजारा नहीं है…

द्रश्य २

(सेक्रेटरी जोशी, गूगल, विक्रम राठौड, गंगा)

फेसबुक – जोशी साहब, आज तो अपना फोन लाएं है ना? दीजीएना, एक फोन करना है…

जोशी – मुजे काम करने दे… किसको करना है फोन? ये ले…

फेसबुक – एक एड है अखबारमें, उसे फोन करना है… (फोन लगाता है…)

हलो, ये अखबारमें जो छपवाया है आपने… सिद्ध मंत्र तंत्र जंत्र के योगी श्री श्री पीर बाबा सदाशिवानंद कोई भी काम जैसे वशीकरळ, मूठमारळ, प्रेममें निष्फल व्यक्ति मिलें, किसीको भी बसमें कर सक्ते है.. और विदेश जानेकी ईच्छा रखनेवालोंको १००% गेरेंटीके साथ वीजा दिलवाएंगे… वो सच है क्या?

हां, हम कोई भी काम कर सक्तें है.. १००% परिळाम

हमें वीजाका प्रोब्लेम है… मिल जाएगा क्या?

बोला ना १००%

आपकी फीस?

वीजा के लीए जाप करवाने होंगे… कठिनता के हिसाब से उसकी फीस है…

अरे महाराज, हमें अमेरीका का वीजा चाहीए

३०००

अरे आप ५००० ले लीजीए पर वीजा दिलवाईए

नाम, राशी और जन्म तारीख लिखाइए

तारीख १७ सप्टेम्बर, राशी वृश्चिक और नाम नरेन्द्र मोदी

क्या? मजाक है क्या?

अरे नहीं नहीं… ईन्हें अमेरीका का वीजा नहीं मिल रहा तो हमने सोचा की मुख्यमंत्री के लीए हम ईतना तो कर ही सक्ते है.. (फोन कट जाता है)

लो फोन कट गया, नरेन्द्रभाईने एक और मौका गंवा दिया

सेक्रेटरी – अरे यार, तुं भी अजीब है, कभी फस जाएगा ऐसे..

गूगल – अरे ये सब चीटर महाराज है… अच्छा एक बात बताइए, नरेन्द्र मोदी को कोई शादीकी पार्टीमे क्यों नहीं बुलाता?

सेक्रेटरी – ?

गूगल – क्यों की खानेकी काफी बरबादी होगी… वो कहते हैं ना, हुं खातोय नथी अने खावा देतोय नथी …

(राठौड और परिख आते है)

राठौड – जोशी, क्या रिपोर्ट है?

सेक्रेटरी – सर, डॅथ सर्टिफिकेट चेक कीया, स्मशानमें भी चेक कीया, सब कुछ ठीक है. लाश को चेक करने वाले डॉक्टरसे भी मिला, सुबह जब वो पहुंचे तब संजय का शरीर ठंडा पड चुका था.. अकडा हुआ था… मतलब उसकी मौत सोने के तुरंत बादही हुई होगी..

राठौड – लगता नहीं की कुछ कामकी बात मिली… गूगल – फेसबुक, तुम्हें क्या मिला?

गूगल – साहब, जब जोशी साहब यह सब चेक कर रहे थे, हमने संजयकी नौकरानी गंगाको पटाया.. मेंने उसे कहा की हम सीआईडी से हैं और जवाब नहीं दिया तो जेलमें डाल देंगे. उसने थोडा कुछ बताया है जो आपके काम लग सक्ता है..

(गंगा का नाम चिल्ल्लाता है)

राठौड – गंगा, गभराओ मत, संजयके बारेमें सब सच सच बताओ, वो कैसा आदमी था?

गंगा – एकदम बकवास, जरा सी भी इन्सानीयत नहीं थी उसमें, उसके सामने कीसीको चीर दो फीरभी उसकी पलक न झपके… आप सचमें पुलिस हो ना?

राठौड – उसके और उसकी बीबी रीनाके रिश्ते कैसे थे?

गंगा – साहब, रीनादीदीके साथ वो बडे अच्छे से रहते थे.. वैसे उनका चाल चलन मुजे कभी अच्छा नहीं लगा… पर ये हाई सोसायटीके लोगोंका क्या कहुं… आप सचमें पुलिस हो ना?

राठौड – उस दिन जब तुम काम पर गई तो कुछ अलग दिखा?

गंगा – हां साहब, रीनादीदीने बताया था की साहबके पुश्तैनी गांवसे एक बडा संदूक भरके बर्तन आए थे, उस रात दोनों भाई उन बर्तनोंका बंटवारा करने वाले थे… आप सचमें पुलिस हो ना?

गूगल – तुजे मेंने क्या बोला? हम सब सीआईडी है…. दया को बुलाउं क्या?

द्रश्य ३

(विक्रम राठौड, सेक्रेटरी जोशी और गूगल)

(राठौड पढ रहे है… जोशी और गूगल आते है…)

सेक्रेटरी – सर, ये संजयके बारेमें कुछ कामकी बातें मिली है… इस फाईलमें सब डोक्युमेन्ट्स है, आप पढ लीजीए (डॉक्युमेन्ट्स देता है.. राठौड पढता है) पिछले महीने जब शेरबाजार लुढका था तब संजयको बडा लोस हुआ था, घर और बीबीके गहने गिरवी रखकर उसने कुछ पैसा चुकाया था पर काफी सारा बकाया था..

राठौड – एक काम करो, संजयके बेंक स्टेटमेंट निकलवाओ, एक महीनेके ट्रान्जेक्शन्स चेक करो.

(परिख आते है…)

परिख – उसकी कोई जरूरत नहीं है, मेंने स्टेटमेंट्स निकलवाये है, संजय और रीमाके जोईन्ट अकाउन्टसे काफी बडी रकम ट्रान्सफर हुई है, चेकमें रीमाके सिग्नेचर है. देखीए दो हफ्ते पहले रीमाने अपने जेठ रोहितके अकाउन्टमें बीस लाख ट्रान्सफर कीए है जो फीर उसके अकाउन्टसे केश विथड्रो कीए गए (पेपर्स राठौडको देता है)

सेक्रेटरी – बात तो यहां तक सुननेमें आई है की रोहित और रीमाके बीचमें नाजायज ताल्लुकात थे… उसीके चलते दोनोंने मिलकर संजयका खून कर दिया होगा.

राठौड – लेकीन खून करने के लीए अटेक कहांसे आएगा? (राठौड पेपर देखता है)

गूगल – साहब एक्जेक्ट एस्टीमेट दे सक्ते है की खूनी कौन है?

राठौड – गूगलबेटे, जिस कम्प्यूटर पर तुम चलते हो उसकी हम ऑपरेटिंग सिस्टम है… जो एक्जेक्ट है वो एस्टीमेट कैसे हो सक्ता है? (पेपर देखकर चमकता है..) एक काम करो, गंगाको जरा फिरसे बुलाओ..

द्रश्य ५ (राठौड, गंगा, गूगल, जोशी और परिख)

राठौड – तो जिस रातको संजयकी मौत हुई उस दिन घरमें रीमा, रोहित, संजय और तुम्हारे अलावा और कोई आया था? ठीक से याद करो…

गंगा – साहब, एक आदमी था, ईन साहब के जैसी दाढी बना रक्खी थी उसने…

गूगल – उसे फ्रेन्च कहते है…

राठौड – उनकी कोई और खास बात?

गंगा – याद नहीं साहब, क्योंकी मुजे तो दोपहरको छुट्टी मिल गई थी तो में और मेरा घरवाला ‘मटरू की बिजलीका मंडोला’ देखने गए थे..

सेक्रेटरी – मुजे उस फ्रेन्च दाढीवाले पर डाउट है, वो ही खूनी हो सक्ता है..

राठौड – पर जोशी, हार्टएटेक कैसे लाया गया होगा?

गंगा – अरे हां साहब, याद आया, वो कुछ पाईप जैसा हाथमें रखकर पीते थे… और बार बार बोलते थे… ये तो मेरे बांए हाथका खेल है…

राठौड – अच्छा… ये तो मेरे बांए हाथ का खेल है? Oh I See…

द्रश्य ४

(गूगल, सेक्रेटरी जोशी, राठौड)

(गूगल लंगडा रहा है…)

सेक्रेटरी – अरे क्या हुआ भाई, आज तेरा सर्वर क्यों डाउन है?

गूगल – मत पूछो, भलाईका तो जमाना ही नहीं है… क्या हुआ की एक दुकानमें आग लगी हुई थी, लोग बाहर खडे चिल्ला रहे थे और अंदर तीन लोग फंसे थे, मेंने अपनी जान पर खेलकर उन्हें बचाकर बाहर निकाला तो तीनोंने बाहर आके मुजे पीट दिया…

सेक्रेटरी – क्यों?

गूगल – क्या बताउं, वो फायरब्रिगेडके लोग थे… आग बुजा रहे थे..
सेक्रेटरी हसता है…

फेसबुक – साहब, गूगल पर हंसना ऐसा ही है जैसे नींदकी और जुलाबकी गोली एक साथ लेना… बचके रहना… हमारा भी दिन आएगा..

राठौड (आते हुए) – फेसबुक, किसका दिन आएगा? शादी कर रहा है क्या गंगाकी बहन जमुनाके साथ?

गूगल – क्या साहब, उसको पटाया ताकी केसमें मदद हो…

राठौड – अच्छा? तो बता क्या पता चला?
(कानमें बोलता है…)

राठौड – लगता है तुम दोनोंको प्रमोशन देना पडेगा..

गूगल – सच?

फेसबुक – कब दे रहें है?

राठौड – जल्दी ही दूंगा..

फेसबुक – तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख, तारीख पे तारीख मिलती रही साहब, लेकीन प्रमोशन नहीं मिला

राठौड – फेसबुक बेटे, एक बार जो मैंने कमिटमेंट कर दी तो फीर में अपने आपकी भी नहीं सुनता..

गूगल – साहब ईन्क्रिमेन्ट भी करवाईए, तीन सालसे एक फूटी कौडी नहीं बढाई आपने, कब तक ईन्सान ईतनीसी तनखामें काम करता रहे?

राठौड – बस बस… तुम लोग भी… जरा सा क्या बढावा दिया, ईन्क्रीमेन्ट और प्रमोशनके सपने देखने लगे? में तो मजाक कर रहा था, तुमने तो सीरीयसली ले लीया..
अच्छा एक काम करो, कल सुबह सबको ईधर बुला लो… बोल दो की केस सोल्व हो गया है… और तुम दोनों आबु जाओ, कल सुबह तक काम कर के लौट आओ…

आखरी द्रश्य

(सब + संजय)

परिख – राठौड, बताओ यार, क्या है मिस्ट्री?

राठौड – बात ये है की हमारे गूगल और फेसबुकसे पता चला है की रीमाको हर दूसरे या तीसरे दिन आबूसे एक कूरीयर आता था, और कल मेंने ईनको वहां भेजा था.. देखो वो क्या ले कर आएं है… पर उससे पहले एक ईन्स्योरन्स मुजे भी उतारना है परिख, क्यॉकी अगर तुम जिंदा लोगोंको भी ईन्स्योरन्सके पैसे बांटते हो, तो मेरा बीस करोडका बीमा उतार दो..

परिख– क्या, कौन जिंदा?

राठौड – Don’t angry me… जरा उस तरफ गौर फरमाईए
सब आश्चर्यचक्ति रह जाते है… पीछे से संजय आता है…

परिख – संजय तुम?

राठौड – स्वागत नहीं करोगे आप ईनका? संजय देसाई.. संजय कभी मरा ही नहीं…

संजय एक फिल्मका डायलॉग है… पीनेकी कॅपेसीटी, जीनेकी स्ट्रेन्थ, अकाउन्टका बेलेन्स और नामका खौफ कभी कम नहीं होना चाहीए…. पर गलत रास्तोंसे? नहीं…

परिख साहब, सरपे चढे कर्जको उतारने और पैसेकी लालचमें उसने होस्पिटलमें डोनेट हुई एक लाशको बडे बक्सेमें डाल कर घर मंगवाया, प्लास्टीक सर्जन डॉ. वर्माने उस लाशकी सर्जरी कर के संजयका चहेरा बनाया, जिसके लीए उनको बीस लाख केश दीए गए और फिर बाकायदा डेथ सर्टिफिकेट बना, सारी दुनियाके सामने उसे संजय बता कर अंतिमक्रिया की गई… आपने तो हमें मूर्ख बनानेका पूरा प्लान बना रख्खा था… पर दस करोडकी लालचनें आपको ये भुला दिया की हमें मूर्ख बनाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है… हम यहां के रोबिन हुड है… रोबिनहुड राठौड उर्फ विक्रम राठौड…

गूगल – साहब, चलीए ये लोग तो फिरभी जेल जाएंगे, आपको केस सोल्व करने के पैसे मिलेंगे, परिख साहबको अप्रिशियेशन मिलेगा… हमारा क्या?

फेसबुक – कुछ करवाईए ना साहब

राठौड – तुमने गीताका वो श्लोक तो सुना ही होगा…

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन
मा कर्मफलहेतुर्भु मा ते संगोस्त्वनि कर्मणि

काम करना तुम्हारे बसमे है, अपना काम पूरी ईमानदारी और महेनतसे करो, फल के बारेमे मत सोचो… चलो ये केस सोल्व हो गया… हम चलते है…

मूल लेखन – हार्दिक याज्ञिक,

सुधार एवं बदलाव – जिज्ञेश अध्यारू

અમારી કંપની “પિપાવાવ ડિફેન્સ એન્ડ ઑફશોર એન્જીનીયરીંગ કંપની”માં સ્વતંત્રતા દિવસની પૂર્વસંધ્યાની ઉજવણી ખૂબ વિશાળ સ્તર પર આયોજીત થઈ હતી, અને કલ્ચરલ કમિટીના સભ્ય તરીકે મારા તરફથી બે પ્રસ્તુતિ હતી,

૧. અમારે ત્યાં સેવાઓ આપતા આસપાસના ગામ, રામપરા, ભેરાઈ અને કોવાયાના યુવામિત્રો દ્વારા તદ્દન કાઠીયાવાડી અને પરંપરાગત પહેરવેશમાં દાંડીયા રાસ તથા

૨. મારી સાથે કામ કરતા મિત્રોના સહયોગથી ઉપરોક્ત નાટકનું મંચન.

પ્રસ્તુત નાટક મૂળે હાર્દિકભાઈ યાજ્ઞિકનું લેખન છે જેમાં ઉમેરા તથા સુધારા-વધારા કરીને મેં તેને ઉપરોક્ત સ્વરૂપ આપ્યું હતું. આ માટેની જરૂરી પરવાનગીઓ બદલ શ્રી હાર્દિકભાઈનો આભાર. આજે પ્રસ્તુત છે આ નાનકડા પ્રાયોગીક હાસ્યનાટકની સ્ક્રિપ્ટ… જો કે આ નાટક આખું ભજવી શકાયું નહોતું, એ વિશેની વિગતો મારા બ્લોગ પર “એક નાટક જે ભજવાયું નહીં” શીર્ષક હેઠળ મૂકી છે. અત્રે જણાવવુ ઉચિત રહેશે કે પ્રસ્તુત નાટકના મંચન માટે હાર્દિકભાઈ યાજ્ઞિકની પરવાનગી આવશ્યક છે.


આપનો પ્રતિભાવ આપો....

11 thoughts on “દસ કરોડનો વીમો..(હિન્દી નાટક) – હાર્દિક યાજ્ઞિક, જીજ્ઞેશ અધ્યારૂ

  • M.D.Gandhi, U.S.A.

    આવું સરસ નાટક, તોય તે ભજવાયું નહીં, માત્ર સાઉન્ડ સીસ્ટમને કારણે…..ભજવનારને ન ભજવવા બદલ દુઃખ થયું, પણ, જોનારાઓએ કેટલું બધું ગુમાવ્યું…..???????
    ફેસબુક અને ગૂગલ ના પાત્રો લઈને બનાવેલું બહુ સુંદર નાટક છે. ગમ્યું.

    • Jyoti

      बहु ज सरस. कोईपण उंमरनी व्यक्तिने रस पडे एवुं नाटक छे.

  • Harshad Dave

    સુંદર. દામુ સાંગાણીના નાટકો હું વાંચતો તે સમય યાદ આવી ગયો. તમે આધુનિકતાનાં રંગે આ નાટકને રંગીને તેની કાયાપલટ કરી નાખી. અભિનંદન. ગુજરાતીમાં મુકોને! આભાર. -હદ.

  • Hemal Vaishnav

    This was absolutely hilarious. By now we all know H.Yagnik’s strength as a writer but never knew about funny side of his.
    At the same time J.Adhyaru is known to make us laugh through “shakuni ni rojnishi”.
    Overall combo of both of them was great.expecting more combined stuff from them in future.

  • ashvin desai

    જિગ્નેશ ,
    નાતક સરસ રિતે લખાઈને રુપાન્તરિત થયેલો લાગ્યો .
    તમારા સ્વભાવ પ્રમાને તમે સ્તેજેબલ પન કરવામા કોઇ જ કચાશ નહિ રાખિ હોય – એનિ મને ખાતરિ ચ્હે . ત્કેકનિકલ
    કારને તમે અતકાવ્યો તે પન તમારિ નિસ્થાનો જ પુરાવો ચ્હે ,
    પન તમારે જરાય હતાશ થવાનિ જરુર નથિ ,અને કોઇ નિસ્નાત તેકનિશિયન પાસે ફરિથિ તૈયાર કરાવિ , અન્ય કોઇ શુભ પ્રસન્ગે ભજવશો ,તો બધા રાજિ થશે . શુભેચ્ચ્હાઓ સાથે , અશ્વિન દેસાઈ , ઓસ્ત્રેલિયા